
आज सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया. आधार कार्ड को लागू करने वाले मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ही थे.
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) आज 86 साल के हो गए

1. आर्थिक उदारीकरण, जिससे बनी पहचान
डॉ. मनमोहन सिंंह का जिक्र आते ही लोगों को 90 का दौर याद आता है. इकोनॉमी की हालत खराब थी. देश तमाम मोर्चे पर जूझ रहा था. उस दौरान मनमोहन सिंह आर्थिक उदारीकरण की रूपरेखा लेकर आए. भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाजार से जोड़ने के बाद उन्होंने आयात और निर्यात के नियम भी सरल किए. इससे लाइसेंस और परमिट गुजरे वक्त की बात होकर रह गई. घाटे में चलने वाले पीएसयू के लिए अलग से नीतियां बनाईं और अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटी.
2 . डॉ. मनमोहन सिंह लाए थे आधार कार्ड
आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में आधार की संवैधानिकता बरकरार रखी है. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) अपने कार्यकाल में इस योजना को लेकर आए थे. देश के हर व्यक्ति को पहचान देने और प्राथमिक तौर पर प्रभावशाली जनहित सेवाएं उस तक पहुंचाने के लिए इसे शुरू किया था. उस दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने भी इसकी तारीफ की थी. यूएन की ओर से कहा गया था कि आधार स्कीम भारत की बेहतरीन स्कीम है.
3. मनरेगा, जो मील का पत्थर साबित हुई
पीएम रहते हुए मनमोहन सिंह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) लेकर आए. बेरोजगारी से जूझते देश में यह योजना काफी लाभदायक साबित हुई. विशेषज्ञों ने इसकी तारीफ की. योजना के तहत साल में 100 दिन का रोजगार और न्यूनतम दैनिक मजदूरी 100 रुपये तय की गई. खास बात यह भी है कि इसके तहत पुरुषों और महिलाओं के बीच किसी भी भेदभाव की अनुमति नहीं है.
4. शिक्षा का अधिकार कानून
डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही राइट टु एजुकेशन यानी शिक्षा का अधिकार अस्तित्व में आया. RTE के तहत 6 से 14 साल के बच्चे को शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित किया गया. कहा गया कि इस उम्र के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा दी ही जाएगी. यह योजना भी बदलाव का वाहक बनी. तमाम विशेषज्ञों ने इसकी तारीफ की.
5. सामरिक मोर्चे पर भी बड़ी कामयाबी
यूपीए सरकार में अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील भी उनके बड़े कामों में शुमार है. इस डील की बदौलत भारत न्यूक्लियर हथियारों के मामले में एक पावरफुल नेशन बनकर उभरा. डील के तहत यह सहमति बनी थी कि भारत अपनी इकॉनमी की बेहतरी के लिए सिविलियन न्यूक्लियर एनर्जी पर काम करता रहेगा. आज पड़ोसी देशों से खतरे को देखते हुए यह डील अहम मानी जा रही है.
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