
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने ने सर्वसम्मति से फैसले में एडल्टरी को खारिज कर दिया. सबसे पहले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपना और जस्टिस एम खानविल्कर का फैसला सुनाया. जिसके बाद अन्य तीन जजों जस्टिस नरीमन, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने भी इस फैसले पर सहमति जताई.
150 साल पुराने एडल्टरी कानून पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला और पुरुष को हमारे संविधान ने बराबर का अधिकार दिया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपनी और जस्टिस ए एम खानविल्कर की ओर से फैसला पढ़ा. चीफ जस्टिस ने कहा कि हर किसी को बराबरी का अधिकार है और पति पत्नी का मास्टर नहीं है. कोर्ट ने आईपीसी की धारा-497 को असंवैधानिक ठहराते हुए कहा कि एडल्टरी अब अपराध नहीं है.
IPC धारा 497 असंवैधानिक
“हम विवाह के खिलाफ अपराध के मामले में दंड का प्रावधान करने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 497 और सीआरपीसी की धारा 198 को असंवैधानिक घोषित करते हैं.”CJI दीपक मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविल्कर
सुप्रीम कोर्ट ने कहा-
पुरुष हमेशा फुसलाने वाला, महिला हमेशा पीड़िता – ऐसा अब नहीं होता
यह कानून महिला की चाहत और सेक्सुअल च्वॉयस का असम्मान करता है
एडल्टरी तलाक का आधार हो सकता है, अपराध नहीं- CJI
आत्महत्या के लिए उकसाने मुकदमा चल सकता है
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, अगर व्यभिचार की वजह से एक जीवनसाथी खुदकुशी कर लेता है और यह बात अदालत में साबित हो जाए, तो आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा चलेगा।
केंद्र सरकार इस कानून को खत्म करने का विरोध कर चुकी है। केंद्र का कहना था कि इसे खत्म करना विवाह संस्था को नुकसान पहुंचाएगा और ये हमारी संस्कृति के लिए भी हानिदायक है।
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने की पांच जजों वाली संवैधानिक पीठ ने एडल्ट्री को परिभाषित करने वाली IPC की धारा 497 की वैधता खारिज करने को लेकर दायर की गई याचिका पर 23 अप्रैल को मामले की सुनवाई होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस बात को माना था कि एडल्टरी अपराथ है और इसकी वजह से परिवार और विवाह दोनों ही बर्बाद होते हैं। आईपीसी की धारा-497 (एडल्टरी) के प्रावधान के तहत अभी तक सिर्फ पुरुषों को ही अपराधी माना जाता है जबकि इसमें महिला को पीड़ित मानी गई है।
एडल्ट्री कानून के तहत अगर कोई विवाहित महिला अपने पति की मर्जी के बिना किसी दूसरे पुरुष के साथ सेक्स संबंध बनाती है तो उस मामले में पुरुष को पांच साल की सजा हो सकती है। एडल्ट्री की परिभाषा को तय करने वाली आईपीसी की धारा 497 में सिर्फ पुरुषों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। जिसके चलते इस एडल्ट्री लॉ को खत्म किए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
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