
आम चुनाव के पहले काम दिखाने की रणनीति बनाकर रेलवे ने फैसला किया है कि अब 600 स्टेशनों का नहीं, बल्कि 90 स्टेशनों का ही पुनर्विकास किया जाएगा. इन स्टेशनों के लिए निजी कंपनियों को 45 के बजाय 99 वर्ष की लीज दी जाएगी. 22 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास का काम तत्काल शुरू करवाया गया था।
दिल्ली. देशभर में अपने-अपने स्टेशनों के कायाकल्प होने का इंतजार कर रहे लोगों को रेलवे ने ऐन मौके पर करारा झटका दिया है. आम चुनाव के पहले काम दिखाने की रणनीति बनाकर रेलवे ने फैसला किया है कि अब 600 स्टेशनों का नहीं, बल्कि 90 स्टेशनों का ही पुनर्विकास किया जाएगा. इन स्टेशनों के लिए निजी कंपनियों को 45 के बजाय 99 वर्ष की लीज दी जाएगी. 22 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास का काम तत्काल शुरू करने की योजना बनी जो 2019 चुनाव के पहले सरकार की सोच का आईना बनकर दिख सके.
रेलवे ने पहले देश के 600 स्टेशनों के पुनर्विकास की योजना बनाई थी लेकिन अब तक इसमें कोई ऐसी कामयाबी हासिल नहीं हो सकी जिससे सरकार और रेल अपनी पीठ थपथपा सकें. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर रेलवे अब पहले चरण में अयोध्या, काशी, वाराणसी, गोमती नगर, चारबाग, आनंद विहार, सराय रोहिल्ला, दिल्ली और बिजवासन स्टेशनों के पुनर्विकास करने की फैसला किया है. अगले चरण में इलाहाबाद, गोरखपुर, मोतिहारी, और झांसी समेत 9 रेलवे स्टेशनों की बारी आएगी. इन सबके ठेके इसी वर्ष या अगले वर्ष की शुरुआत तक दे दिए जाने की संभावना है. इसके लिए रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेशन को बाजार से धनराशि जुटाने को कहा गया है. एक स्टेशन एक निर्माण एजेंसी के जिम्मे दिया जाएगा ताकि डिजाइन व सुविधाओं में एकरूपता रहे.
स्टेशनों के विकास के लिए रेल मंत्रालय रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेशन की शुरुआती पूंजी उपलब्ध कराएगा. बदले में वह हर स्टेशन के लिए विशेष प्रयोजन कंपनी (एसपीवी) का गठन करेगा. यह कंपनी विकसित स्टेशन के मुद्रीकरण के जरिए स्टेशनों के विकास के लिए धनराशि एकत्र करेगी. नई योजना के तहत सरकार कंपनियों को 45 की बजाय 99 वर्ष की लीज पर जमीन उपलब्ध कराएगी. जहां रेलवे की जमीन कम पड़गी, सरकार द्वारा सरकारी जमीन उपलब्ध कराएंगे. स्टेशनों का विकास बिल्ड, ऑपरेट, ट्रांसफर के बजाय ईपीसी आधार पर किया जाएगा. इसमें निर्माण की पूरी लागत रेलवे वाहन करेगी.
यह हैं पूर्ण विकसित होने वाले स्टेशन
जिन 90 रेलवे स्टेशनों को पुनर्विकसित करने का फैसला किया गया है उनमें दिल्ली, सराय रोहिल्ला, आनंद विहार, बिजवासन, सफदरजंग, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद, अयोध्या, काशी, गोरखपुर, आगरा, मथुरा, इज्जत नगर, हरिद्वार, देहरादून, झांसी, पटना, पाटलिपुत्र, मोतिहारी, हाजीपुर, सोनपुर, रांची, आसनसोल, हावड़ा, सियालदह, दार्जिलिंग, अलीपुरद्वार, आगरा, अंबाला, चंडीगढ़, अमृतसर, शिमला, जम्मूतवी, हबीबगंज, भोपाल, इटारसी, रतलाम, जबलपुर, बुरहानपुर आदि के नाम शामिल हैं. इनमें से कुछ स्टेशनों जैसे चंडीगढ़ आनंद विहार, हबीबगंज में काफी काम हो चुके हैं.
अयोध्या रेलवे स्टेशन के विकास की जिम्मेदारी राइट्स को सौंपी गई है. रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने बीती 20 फरवरी को इसका शिलान्यास किया गया था. फिलहाल, यहां प्लेटफार्म के सुधार का कार्य हुआ है. बताया जा रहा है कि अयोध्या रेलवे स्टेशन का विकास श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मॉडल के आधार पर किया जाएगा. काशी स्टेशन का विकास इंटर मॉडल स्टेशन के तौर पर किया जाना है. इसलिए इसका डीपीआर एनएचएआई बना रहा है. वाराणसी स्टेशन के विकास का काम राइट्स कर रही है. यहां प्लेटफॉर्म और बाहरी हिस्से के विकास की प्रक्रिया चल रही है. फुटओवर ब्रिज का ठेका दिया गया है. लिफ्ट, एस्केलेटर के टेंडर की प्रक्रिया भी चालू है. गोमती नगर और चारबाग लखनऊ के स्टेशनों के विकास का जिम्मा आरएलडीए को दिया गया है. दिल्ली और सराय रोहिल्ला का विकास दो चरणों में होना है. पहला मार्च 2019 में दूसरा जून 2020 में पूरा होगा. आनंद विहार, बिजवासन व चंडीगढ़ के विकास का जिम्मा आईआरएसडीसी आरएलडीए के जिम्मे है.
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