
10 ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त रूप से यह राष्ट्रव्यापी बंद बुलाया है। वे इस दौरान देश भर में एनडीए सरकार की कथित दमनकारी नीतियों के खिलाफ अपना विरोध जताएंगे। भारत बंद का प्रभाव सुबह आठ बजे से दिखने की संभावना है।
जनसत्ता ऑनलाइन के मुताबिक केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की कथित दमनकारी नीतियों को लेकर दो दिवसीय भारत बंद बुलाया है। यह बंद आठ और नौ जनवरी (मंगलवार और बुधवार) को रहेगा। खास बात है कि देश भर के किसान भी इसका समर्थन करेंगे। वे देश के विभिन्न हिस्सों में होने वाली हड़ताल में वामपंथी दलों की किसान इकाई के तत्वावधान में इसका समर्थन करेंगे।
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीआईटीयू) के महासचिव तपन सेन के हवाले से रिपोर्ट्स में कहा गया, “सार्वजनिक, असंगठित, बैंकिंग और बीमा क्षेत्र के कर्मचारी, बंदरगाहों के मजदूर देश व्यापी हड़ताल पर रहेंगे। वे इस बंद के दौरान केंद्रीय ट्रेड यूनियंस और अन्य संगठनों के नेतृत्व में देश के आर्थिक संकट, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर अपना विरोध जताएंगे।”
वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) से संबद्ध अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के महासचिव हन्नन मुल्लाह ने बताया, “एआईकेएस और भूमि अधिकार आंदोलन ने आठ और नौ जनवरी को क्रमशः ‘ग्रामीण हड़ताल’ और ‘रेल रोके, रोड रोको’ का आह्वान किया है, जबकि ट्रेड यूनियंस ने उस दौरान राष्ट्रव्यापी बंद बुलाया है। यह कदम मोदी सरकार की विफलता को लेकर उठाया जा रहा है, क्योंकि वह किसानों की समस्याएं हल करने के मोर्चे पर नाकाम रहे हैं। यही कारण है कि किसान भी इस बंद का समर्थन करेंगे।”
10 ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त रूप से यह राष्ट्रव्यापी बंद बुलाया है, जिसमें आईएनटीयूसी, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीआईटीयू, एआईयूटीयूसी, एआईसीसीटीयू, यूटीयूसी, टीयूसीसी, एलपीएफ और एईवीए शामिल हैं। रोचक बात है कि इन सभी यूनियंस को लगभग सभी केंद्रीय कर्मचारियों, राज्य कर्मचारियों, बैंक-बीमाकर्मियों, टेलीकॉम कर्मचारियों और अन्य कर्मचारियों के स्वतंत्र महासंघों का समर्थन मिल चुका है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक के बेंगलुरू शहर में भी चार यूनियनों ने भी इस राष्ट्रव्यापी बंद को समर्थन देने का फैसला किया है। इनमें बेंगलुरू मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (बीएमटीसी) और कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (केएसआरटीसी) भी शामिल हैं, जबकि ऑटो रिक्शा और कैब चालक भी इस हड़ताल का हिस्सा बन सकते हैं।
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