
राफेल डील पर संसद में बहस के दौरान रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर सरकारी कंपनी एचएएल को लेकर बोलने के आरोप लग रहे हैं। हालांकि आज उन्होंने एक और बयान देकर सफाई देने की कोशिश जरूर की, लेकिन तब तक उनके बयान को लेकर मोदी सरकार सवालों के घेरे में आ गई है।
नवजीवन के मुताबिक राफेल डील पर संसद में बहस के दौरान केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर सरकारी कंपनी एचएएल को लेकर संसद से झूठ बोलने के आरोप लग रहे हैं। हालांकि आज उन्होंने एक और बयान देकर अपने पहले के बयान को सुधारने की कोशिश जरूर की है, लेकिन तब तक उनके बयान को लेकर मोदी सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। लगातार राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीतारमण पर जानबूझकर संसद से झूठ बोलने का आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने सीतारमण पर एक बार फिर संसद से झूठ बालने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री को इस सवाल का हां या नहीं में जवाब देने की चुनौती देते हैं कि क्या राफेल सौदे में आपके दखल पर वायु सेना और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने आपत्ति जताई थी?
Rahul Gandhi: Today Nirmala Sitharaman lied in parliament.I'm again requesting the Defence minister and PM Modi to answer "did Air Force and Defence ministry senior officers object to your interference in Rafale deal?" Please answer in a "Yes or No." pic.twitter.com/BcbPCucPeS
— ANI (@ANI) January 7, 2019
दरअसल 4 जनवरी को लोकसभा में राफेल डील पर चर्चा के दौरान रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया था कि सरकारी कंपनी एचएएल को कुल मिलाकर एक लाख करोड़ रुपए दिए गए हैं, जिसमें कई ठेके शामिल हैं। सीतारमण के इसी बयान को लेकर सवाल खड़े हो गए। जिसके बाद सोमवार को लोकसभा के शून्यकाल में एक बार फिर रक्षा मंत्री ने बयान देते हुए कहा कि एचएएल के साथ 2014 से 2018 के दौरान 26 हजार करोड़ रुपए से अधिक के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं और 73 हजार करोड़ रुपए के अनुबंध अभी पाइपलाइन में हैं। साथ ही सीतारमण ने कहा कि लोकसभा में दिए उनके बयान पर संदेह खड़े करना गलत और गुमराह करने वाली बात है।
Twitter पर छबि देखें
Defence Minister in Lok Sabha: I have received confirmation from HAL that contracts during 2014-18 worth Rs 26,570.80 crore have already been signed with HAL. Orders worth Rs 73,000 Cr approx are in the pipeline pic.twitter.com/UeWFQ2Gc37
— ANI (@ANI) January 7, 2019
संसद में एक और बयान देकर भले निर्मला सीतारमण ने अपने पहले के बयान की लीपापोती कर ली हो, लेकिन एचएएल से जुड़े तथ्य कुछ और ही कहानी बयान करते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार राफेल डील के लिए मोदी सरकार ने जहां बगैर एक भी विमान मिले दसॉल्ट एविएशन को अग्रिम में 2000 करोड़ रुपये का भुगतान किया, वहीं एचएएल को अब तक डिलिवरी किये जा चुके विमानों और हेलीकॉप्टरों का बकाया 15700 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया। यह रकम मार्च 2019 तक बढ़कर 20000 करोड़ हो जाएगी।
दूसरा तथ्य यह है कि 2018-19 के दौरान एचएएल के वार्षिक आवश्यक बजट 19,334 करोड़ रुपये के मुकाबले सरकार ने केवल 6,415 करोड़ की आवंटित किये, जो कुल जरूरत का सिर्फ 33 फीसदी है। इसकी वजह से एचएएल को अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने के लिए बैंकों से 781 करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ा।
यही नहीं, इससे पहले मोदी सरकार ने एचएएल से 11,024 करोड़ वापस ले लिए थे। साल 2015-16 में रक्षा मंत्रालय की एक योजना के तहत एचएएल को 6,393 करोड़ रुपये सरकार को वापस ट्रांसफर करने पड़े। इसके साथ ही एचएएल को 4,631 करोड़ के डिविडेंड और करों का भी भुगतान करना पड़ा।
इन सब झटकों की वजह से एचएएल का शेयर भाव 30 प्रतिशत तक गिरकर 1184 रुपये से 814 रुपये पर आ गया। इन तथ्यों को विस्तार से समझने पर मोदी सरकार द्वारा सरकारी कंपनी एचएएल को पूरी तरह से बंद करने की साजिश का साफ पता चलता है।
इन सब बातों को उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल विमान डील को लेकर एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “एचएएल के पास सैलरी देने तक के पैसे नहीं है, क्या ये बात चौंकाने वाली नहीं लगती है? अब अनिल अंबानी के पास राफेल का ठेका है। अब उन्हें इस ठेके का काम पूरा करने के लिए एचएएल की शानदार प्रतिभाओं की जरूरत है। सैलरी के अभाव में एचएएल के बेहतरीन इंजिनियर्स और साइंटिस्ट्स को अनिल अंबानी की कंपनी में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।”
That HAL doesn’t have enough cash to pay salaries, isn’t surprising.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 7, 2019
Anil Ambani has Rafale. He now needs HAL’s brilliant talent pool to deliver on his contracts.
Without salaries, HAL’s best engineers & scientists will be forced to move to AA’s venture.#SaveHAL https://t.co/IaqgS3pyJ7
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