
दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने सवालउठाया है कि आज जिस तरह अभिव्यक्ति की आज़ी और मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है,क्या संविधान के यही मूल्य हैं। नसीरुद्दीन शाह ने यह सवाल एमनेस्टी इंडिया द्वाराजारी लिए एक वीडियो में कही है।
नवजीवन के मुताबिक नसीरुद्दीन शाह ने पिछले दिनों जब मौजूदा हालात के मद्देनज़र कहा था कि उन्हें डर लगता है कि अगर उनके बच्चे घर से निकलेंगे और कोई भीड़ उनसे मज़हब पूछेगी तो क्या जवाब देंगे। उनके इस बयान पर जबरदस्त हंगामा हुआ था। अब मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंडिया ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें नसीरुद्दीन शाह मावधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ की गई कार्रवाई के लिए सरकार की आलोचना कर रहे हैं।
इस वीडियों में नसीरुद्दीन शाह कहते हैं, “हमारे आजाद देश का संविधान 26 नवंबर 1949 में लागू हुआ। शुरु में ही संविधान के बुनियादी उसूलों को साफ किया गया कि देश के हर नागरिक को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक इंसाफ मिल सके। सोचने, बोलने, किसी भी धर्म को मानने या किसी भी तरह से पूजा-इबादत करने की आज़ादी हो। देश के हर नागरिक को बराबर समझा जाए और हर नागरिक की जान और माल की सुरक्षा और सम्मान दिया जाए।”
In 2018, India witnessed a massive crackdown on freedom of expression and human rights defenders. Let's stand up for our constitutional values this new year and tell the Indian government that its crackdown must end now. #AbkiBaarManavAdhikaar pic.twitter.com/e7YSIyLAfm
— Amnesty India (@AIIndia) January 4, 2019
उन्होंने आगे कहा है कि, “जो लोग नाइंसाफों, गरीबों पर जुल्म के खिलाफ लड़ते हैं, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, दरअसल ये लोग संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करते हैं। लेकिन अब, ऐसे लोगों को सलाखों के पीछे जेल में डाला जा रहा है। कलाकारों, अभिनेताओं, विद्धानों-शायरों और यहां तक कि पत्रकारों को भी लिखने-बोलने से रोका जा रहा है।”
दरअसल नसीरुद्दीन शाह भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का हवाला दे रहे हैं। पुलिस ने पिछले साल सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वर्नन गोंजाल्विस, वरवरा राव और गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था। इसके बाद जबरदस्त विवाद खड़ा हुआ था।
नसीरुद्दीन ने आगे कहा है कि, “आज धर्म के नाम पर नफरतों की दीवारें खड़ी की जा रही हैं । बेकुसूरों का कत्ल हो रहा है। देश में नफरत और क्रूरता का भयावह माहौल बना दिया गया है।”
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