
भारत सरकार कंपनी को पर्याप्त काम नहीं दे पा रही है, जिसके चलते उसे बैंक से 962 करोड़ रुपये का ओवरड्राफ्ट (कर्ज) लेना पड़ा। बीते रविवार की रात एचएएल के आधिकारिक हैंडल से ट्वीट कर बैंक से लिए गए कर्ज के बारे में बताया गया।
जनसत्ता ऑनलाइन की खबर के मुताबिक हथियार बनाने वाली सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) इन दिनों बड़े संकट के दौर से गुजर रही है। कंपनी के पास कर्मचारियों को सैलरी देने तक के पैसे नहीं है। भारत सरकार कंपनी को पर्याप्त काम नहीं दे पा रही है, जिसके चलते उसे बैंक से 962 करोड़ रुपये का ओवरड्राफ्ट (कर्ज) लेना पड़ा। बीते रविवार की रात एचएएल के आधिकारिक हैंडल से ट्वीट कर बैंक से लिए गए कर्ज के बारे में बताया गया। कंपनी ने ट्वीट में लिखा, ”एचएएल पर विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के मद्देनजर यह स्पष्ट किया जाता है: एचएएल ने 962 करोड़ रुपये का ओवरड्राफ्ट लिया है। अनुमानित संग्रह के साथ मार्च तक नकदी की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है। एलसीए एमके 1 ए (83) और एलसीएच (15) के लिए आदेश अंतिम चरण में है।” बता दें कि एचएएल की यह हालत तब है जब कंपनी 2003 से लेकर अब तक सरकार को 9000 करोड़ रुपये की लाभांश दे चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस राशि का 50 फीसदी हिस्सा एचएएल ने सरकार को बीते पांच वर्षों में दिया है। टीओआई की खबर के मुताबिक एचएएल ने कुल 8,996 रुपये सरकार को लाभांश के तौर पर दिए, जिनमें से सरकार ने 4,366 रुपये 2003 से लेकर 2013 के बीच यानी दस वर्षों में लिए और इसके बाद पांच वर्षों में 4,630 करोड़ रुपये का लाभांश लिया।
एचएएल कर्मचारियों के संगठन के महासचिव सूर्यदेवारा चंद्रशेखर ने मीडिया को बताया कि बीते 3 वर्षों में सरकार ने कंपनी के शेयरों का दो बार बायबैक किया। कंपनी के 75 वर्षों के इतिहास में पहली बार ये कदम उठाए गए। चंद्रशेखर के मुताबिक बायबैक से कंपनी की आर्थिक हालत पर असर हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक एचएएल के दो बायबैक कुल 6393 करोड़ रुपये के थे। पहला 5265 करोड़ रुपये का बायबैक 2015 में और दूसरा 1128 करोड़ रुपये का 2017 में किया गया।
In view of the various media reports on HAL, following is clarified: HAL has taken overdraft of Rs 962 crores. With anticipated collection upto March, the cash position is expected to improve. Orders for LCA Mk1 A (83) & LCH (15) are in advanced stages.@drajaykumar_ias @PTI_News
— HAL (@HALHQBLR) January 6, 2019
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी एचएएल की खराब माली हालत को लेकर ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने ट्वीट में लिखा, “एचएएल के पास सैलरी देने तक के पैसे नहीं है, क्या ये बात चौंकाने वाली नहीं लगती है? अनिल अंबानी के पास राफेल है। अब उन्हें इस इस काम के लिए एचएएल की शानदार प्रतिभाओं की जरूरत है। सैलरी के अभाव में एचएएल के बेहतरीन इंजिनियर्स और साइंटिस्ट्स को अनिल अंबानी की कंपनी में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।” राहुल गांधी द्वारा संसद में निशाना बनाए जाने के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को ट्वीट किया, ”एचएएल के साथ 2014 से 2018 के दौरान 26 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं और 73 हजार करोड़ रुपये के अनुबंध अभी पाइपलाइन में हैं।”
वहीं, इसे लेकर एचएएल के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि इतना काफी नहीं है। अधिकारी ने बताया कि 30 हजार कर्मचारियों की कंपनी को आदर्श स्थिति में चलाने के लिए 2 लाक करोड़ की ऑर्डर बुक का जरूरत है। अधिकारी ने बताया कि रक्षा मंत्री ने जिस अनुबंद की बात की है वह 60 हजार करोड़ की ऑर्डर बुक का हिस्सा है। अधिकारी ने बताया कि राफेल सौदा एएचएल की स्थिति को सुधारने के लिए कारगर साबित होता लेकिन वह अब गुजरी बात हो गई। उन्होंने कहा कि अब एचएएल को जिंदा रखने के लिए एलसीए ऑर्डर का मिलना जरूरी है। इसके तहत 83 हल्के लड़ाकू विमान और 15 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर बनाए जाएंगे।
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