
नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम की शुरुआत की थी। इसके बावजूद पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बाजार पर चीनी कंपनियों का दबदबा बढ़ता जा रहा है। स्मार्टफोन से लेकर इलेक्ट्रिक प्रोडक्ट्स तक में चीन की कंपनियों ने कब्जा कर लिया है। इसके अलावा चीन की कंपनियों ने स्टार्टअप्स और छोटे उद्योगों में हजारों करोड़ रुपए का निवेश कर हिस्सेदारी खरीदी है। इनमें सबसे प्रमुख दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा है।
जनसत्ता ऑनलाइन के मुताबिक भारत और चीन ने पिछले कुछ दशकों में आर्थिक क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। चीन जहां मैन्यूफैक्चरिंग हब बनकर उभरा है, वहीं भारत दुनिया के सबसे बड़े बाजार के रूप में सामने आया है। चीन दुनिया के प्रमुख निर्यातक देशों में एक बन गया है तो भारत में एक ऐसा मध्य वर्ग तैयार हो चुका है, जिसकी क्रय शक्ति (परचेजिंग पावर) में लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे में दुनिया के अन्य प्रमुख निर्यातक देशों के साथ ही चीन की नजरें भारत पर हैं। पिछले कुछ वर्षों में चीन की कंपनियों ने भारत में गहरी पैठ बनाने में सफल रही है। खिलौने से लेकर स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स से लेकर सोलर पैनल तक के बाजार में चीनी कंपनियों का दबदबा है। खासकर स्मार्टफोन में शाओमी, ओप्पो, वीवो, वनप्लस और लेनोवो जैसे ब्रांड भारत में बेहद लोकप्रिय हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रिक प्रोडक्ट्स (खासकर लाइटिंग) और खिलौनों के बाजार पर भी चीन की कंपनियों का दबदबा है। इतना ही नहीं, चीनी कंपनियां कई भारतीय कंपनियों में हजारों करोड़ रुपए का निवेश भी कर चुकी है। इसके अलावा लघु उद्योग को फंड मुहैया कराने के लिए चीन के सबसे बड़े बैंक ने बकायदा एक कोष का भी गठन किया है।
व्यापार घाटा दोगुना से ज्यादा:
पिछले कुछ वर्षों में भारत और चीन के बीच का व्यापार घाटा दोगुने से भी ज्यादा हो चुका है। वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने चीन से 76.2 बिलियन डॉलर (5,36,790 करोड़ रुपए) मूल्य का आयात किया था, जबकि 33 बिलियन डॉलर (2,32,468 करोड़ रुपए) मूल्य के उत्पादों का निर्यात किया था। इस तरह दोनों देशों के बीच 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का व्यापार घाटा है और भारत नुकसान में है। वित्त वर्ष 2013-14 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 65.85 बिलियन डॉलर (4,64,868 करोड़ रुपए) था। भारत ने 14.82 बिलियन डॉलर (1,04,621 करोड़ रुपए) का निर्यात किया था, जबकि इस अवधि में चीन से 51.03 बिलियन डॉलर (3,60,246 करोड़ रुपए) का आयात किया गया था। नरेंद्र मोदी ने देश की सत्ता संभालने के बाद देश में उत्पादन और निवेश को बढ़ावा देने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की शुरुआत की थी। इसके बावजूद पिछले कुछ वर्षों में चीनी कंपनियों का भारत में जबरदस्त विस्तार हुआ है।
भारतीय फर्म में चीनी कंपनियां हजारों करोड़ का कर चुकी है निवेश:
चीन ने वर्ष 2017 में भारत में 2 अरब डॉलर (14,119 करोड़ रुपए) का निवेश किया था। वर्ष 2014 में यह आंकड़ा महज 124 मिलियन डॉलर (875 करोड़ रुपए) ही था। ऐसे में पिछले कुछ वर्षों में चीनी कंपनियां भारत में लगातार निवेश कर रही हैं। चीनी कंपनियों ने वर्ष 2017 में भारत की स्टार्टअप कंपनियों में 2 अरब डॉलर (14 हजार करोड़ रुपए) का निवेश किया था। इसके अलावा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (MSME) को फंड मुहैया करने के लिए हाल में ही चीन के सबसे बड़े बैंक (इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना- ICBC) ने 20 करोड़ डॉलर (1,410 करोड़ रुपए) का फंड स्थापित किया है। चीन की दिग्गज ई-कॉमर्स अलीबाबा ने डिजिटल पेमेंट कंपनी पेटीएम और ऑनलाइन ग्रॉसरी ऐप्प बिगबास्केट में करोड़ों रुपए का निवेश किया है। अलीबाबा ने शेयर के एवज में स्नैपडील को भी फंड मुहैया कराया है। साथ ही ऑनलाइन फूड डिलिवरी कंपनी जोमेटो में चीनी कंपनी ने 1,400 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
स्मार्टफोन मार्केट पर चीनी कंपनियों का कब्जा:
तकरीबन 4 साल पहले स्मार्टफोन निर्माता भारतीय कंपनी माइक्रोमैक्स का बोलबाला था। स्मार्टफोन बेचने के मामले में माइक्रोमैक्स ने सैमसंग जैसी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया था। माइक्रोमैक्स, लावा और इंटेक्स (भारतीय कंपनी) का 54 फीसद स्मार्टफोन बाजार पर कब्जा था। चीनी कंपनियों के भारत में कदम रखने के बाद यह हिस्सेदारी 10 प्रतिशत पहुंच चुकी है। IDC के डेटा के अनुसार, चीनी फोन निर्माता कंपनी शाओमी का स्मार्टफोन बाजार के 29.7 फीसद हिस्से पर कब्जा है। बाजार में हिस्सेदारी के लिहाज से शीर्ष पांच में से चार कंपनियां (शाओमी, वीवो, ओप्पो और ट्रैनसियॉन) चीन की हैं। स्मार्टफोन मार्केट के 51 फीसद हिस्से पर चीनी कंपनियों का कब्जा है। टेलीकॉम उपकरणों का आयात 70 हजार करोड़ रुपए को पार कर चुका है। इसमें भी चीनी कंपनियों की अच्छी-खासी हिस्सेदारी है।
इलेक्ट्रिकल आइटम्स का सबसे ज्यादा आयात:
चीन से कई उत्पादों का भारत में धड़ल्ले से आयात किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में मेरिका, जापान और जर्मनी के साथ चीन से सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिकल आइटम्स का आयात किया जाता है। यह आंकड़ा 21 अरब डॉलर (वित्त वर्ष 2017-18) को भी पार कर चुका है। इसके अलावा मशीन व उनके पार्ट्स, ऑर्गेनिक केमिकल्स, प्लास्टिक, पोत और नौकाओं का भी हजारों करोड़ रुपए में आयात किया जा रहा है।
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