
यूपी में 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के परिणामों का इंतजार कर रहे उम्मीदवारों के लिए झटका देने वाली खबर है. दरअसल, उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों की 69 हजार भर्ती के परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी गई है. बता दें कि परीक्षा के क्वालिफाइंग मार्क्स तय करने के यूपी सरकार के फैसले को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष चुनौती दी गई थी. कल हुई सुनवाई में भी कोर्ट ने आज की सुनवाई तक भर्ती पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था।
इस मामले की आज शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने 21 जनवरी तक शिक्षक भर्ती परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी. अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी.
याचिकाकर्ता रिज़वान अंसारी ने बताया कि 21 जनवरी को होने वाली सुनवाई के बाद तय होगा कि रिजल्ट को कब घोषित किया जाए. पहले यह रिजल्ट 22 जनवरी को आने वाले था. लेकिन कोर्ट की रोक के बाद इस टाल दिया गया है.
कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार के अधिकारी भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न कराना भी चाहते हैं या नहीं. कोर्ट ने अपने पूर्व आदेशों और नियमों की अनदेखी पर कहा कि इस परीक्षा को ही निरस्त कर देते, अगर लाखों अभ्यर्थियों के हितों का ख्याल न होता तो.
वहीं याचियों के अधिवक्ता अमित सिंह भदौरिया ने बताया कि दर्जनों याचियों की ओर से दाखिल अलग-अलग नौ याचिकाओं में सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के क्वालिफाइंग मार्क्स को चुनौती दी गई है. उन्होंने बताया कि 7 जनवरी को राज्य सरकार ने जनरल कैटगरी के लिए क्वालिफाइंग मार्क्स 65 प्रतिशत जबकि रिजर्व कैटगरी के लिए 60 प्रतिशत रखने की घोषणा की है. याचिकाओं में कहा गया है कि विज्ञापन में ऐसे किसी क्वालिफाइंग मार्क्स की बात नहीं की गई थी.
ये है है पूरा मामला-
याचियों के अधिवक्ता ने बताया कि दर्जनों याचियों की ओर से दाखिल अलग-अलग नौ याचिकाओं में सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के क्वालिफाइंग मार्क्स को चुनौती दी गई। उन्होंने एक अखबार को बताया कि 7 जनवरी को राज्य सरकार ने जनरल कैटगरी के लिए क्वालिफाइंग मार्क्स 65 प्रतिशत जबकि रिजर्व कैटगरी के लिए 60 प्रतिशत रखने की घोषणा की है। याचिकाओं में कहा गया है कि विज्ञापन में ऐसे किसी क्वालिफाइंग मार्क्स की बात नहीं की गई थी। लिहाजा बाद में क्वालिफाइंग मार्क्स तय करना विधि सम्मत नहीं है। 6 जनवरी को लिखित परीक्षा हो गयी। जिसके बाद सरकार ने नियमों में परिवर्तन करते हुए क्वालिफाइंग मार्क्स तय कर दिये जबकि यह तय सिद्धांत है कि एक बार भर्ती प्रक्रिया आरम्भ होने के बाद नियमों मे परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
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