
किसान एक बार फिर दिल्ली के दरवाजे पर दस्तक देने को तैयार बैठे हैं। जमीन अधिग्रहण की जांच के समर्थन में शुक्रवार के बाद शनिवार को भी दिल्ली कूच करने निकले किसानों का काफिला जाम का सबब बन गया है। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में पीएम मोदी का आवास घेरने की धमकी दे रहे हैं।
नवजीवन की रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार के कार्यकाल की आखिरी बजट में भले किसानों को 6000 रुपये देने का ऐलान कर दिया हो, लेकिन सरकार के नीतियों के खिलाफ किसानों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। किसान अपनी जमीन अधिग्रहण में उचित मुआवजा को लेकर आज जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे। इतना ही नहीं किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में पीएम मोदी का आवास घेरने की धमकी भी दे रहे हैं। किसानों के दिल्ली पड़ाव की खबर ने शुक्रवार को भी दिनभर पुलिस को परेशान रखा था और आज भी वही हाल है। शनिवार को भी किसान डीएनडी पर बने टोल गेट से पहले ही डटे हुए हैं। जिसे देखते हुए पुलिस ने कड़े इंतजाम भी किए हैं।
Delhi: Farmers hold protest near DND flyway toll gate demanding fourfold compensation in lieu of their land acquisition pic.twitter.com/6sR56IqvvR
— ANI (@ANI) February 2, 2019
इससे पहले मोदी सरकार के खिलाफ सैकड़ों किसानों का हुजूम शुक्रवार शाम को जब नोएडा से होकर गुजरा तो कई घंटों के लिए नोएडा थम सा गया। हालात यह हो गई कि दिल्ली जाने वाले डीएनडी फ्लाईओवर को बंद करना पड़ा। जिसकी वजह से कई घंटों तक लोगों को भारी जाम का सामना भी करना पड़ा। दिल्ली पुलिस के अडिशनल पीआरओ अनिल मित्तल ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने अपनी तरफ से किसानों को समझाने की हरसंभव कोशिश की और उनके लिए बसों का इंतजाम करके उन्हें रामलीला मैदान ले जाने का अनुरोध भी किया था, लेकिन किसान ट्रैक्टर से जाने की अपनी जिद पर अड़े हुए हैं, जबकि दिल्ली में ट्रैक्टर का सवारी गाड़ी के रूप में इस्तेमाल करने पर पाबंदी है।
बता दें कि टप्पल के गांव जिकरपुर में किसान नए भूमि अधिग्रहण बिल के अनुसार भूमि अधिग्रहण करने की मांग को लेकर 50 दिन से धरना दे रहे हैं। यमुना एक्सप्रेस वे निर्माण के दौरान बीएसपी सरकार में जिकरपुर में ही किसान और पुलिस के बीच संघर्ष हुआ था। जिसमें तीन किसान और एक पुलिस कर्मी की मौत हो गई थी। किसानों की मांग है कि साल 2008 से लेकर 2012 तक गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, अलीगढ़, आगरा और मथुरा क्षेत्र में हुए भूमि अधिग्रहण मामले की जांच सीबीआइ से कराई जाए। वही किसान नेताओं ने धमकी दी है कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो प्रदर्शन को और तेजी से आगे बढ़ाएंगे।
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