
बीते समय में कई ऐसे वाकये सामने आए हैं, जहां लोगों को सरकार की आलोचना करने के लिए कई बार रोका जाता है तो कई ट्रोलिंग और हमलों तक का शिकार होना पड़ता है. इन घटनाओं का शिकार न केवल जनसामान्य हुआ है, बल्कि दिग्गज और जानी मानी हस्तियां भी इनसे बच नहीं पाई हैं.
ऐसा ही एक वाकया कल सिनेमा के दिग्गज अभिनेता अमोल पालेकर के साथ हुआ है. जहां उन्हें अपने भाषण में सरकार के खिलाफ आलोचनात्मक रवैया अपनाने के लिए बीच में ही रोक दिया गया.
यह वाकया उस वक्त हुआ, जब पालेकर नैशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे. अपने भाषण के दौरान जैसे ही उन्होंने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के एक फैसले की आलोचना करनी शुरू की, वहां मौजूद मॉडरेटर ने उन्हें उस विषय पर बोलने से रोक दिया.
इस दौरान उन्हें कई बार टोका गया और भाषण जल्दी खत्म करने के लिए भी कहा गया.
सामाजिक कार्यकर्ता अनु टंडन ने इस घटना का वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “हैरान करने वाला, मेरे प्रिय सिनेमा कलाकार अमोल पालेकर को संस्कृति मंत्रालय की आलोचना करने के लिए भाषण के बीच में ही रोक दिया गया.”
Just got this video of one of my favourite actors, Amol Palekar, being cut off while ruing the loss of independence in art at @mumbai_ngma simply because he seemed critical of a Ministry of Culture/NGMA decision.
— Annu Tandon (@AnnuTandonUnnao) February 9, 2019
This is what #intolerance in the present times is all about. Sad! pic.twitter.com/u8L30qeiz7
यह कार्यक्रम मशहूर कलाकार प्रभाकर बर्वे की याद में आयोजित किया गया था. पालेकर भाषण के दौरान बता रहे थे कि कैसे आर्ट गैलरी ने बीते दिनों अपनी स्वतंत्रता धीरे-धीरे खोई है. वह आर्ट गैलरी के कामकाज करने के तरीकों पर सवाल उठा रहे थे.
दरअसल, बीते साल अक्टूबर तक नैशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट की एक सक्रिय ‘सलाहकार समिति’ थी, जिसमें अलग-अलग स्थानीय कलाकारों का प्रतिनिधित्व होता था. पालेकर ने बताया कि अब इस समिति का नियंत्रण सीधे तौर पर संस्कृति मंत्रालय करता है.
हैरान करने वाली बात यह है कि पालेकर कार्यक्रम के आयोजकों में शामिल थे. अपने भाषण के दौरान उन्होंने किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया, न ही किसी तरह आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया. ऐसे में संस्कृति मंत्रालय के एक फैसले के खिलाफ आलोचनात्मक रुख रखने के लिए उन्हें बोलने से रोक दिया जाना, एक व्यक्ति की अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का हनन करना है.
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