
‘द हिंदू’ समूह के चेयरमैन एन राम ने राफेल खुलासे में सूत्रों के नाम बताने से इंकार किया है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ‘द हिन्दू’ को मिली धमकी के लिए अटॉर्नी जनरल की आलोचना की है. साथ ही, सरकारी गोपनीयता कानून को मीडिया के खिलाफ इस्तेमाल करने की हर कोशिश को निंदनीय करार दिया है.
गिल्ड ने कहा है कि सरकारी गोपनीयता कानून को मीडिया के खिलाफ इस्तेमाल करने की हर कोशिश उतनी ही निंदनीय है, जितना पत्रकारों से उनके सूत्रों का खुलासा करने के लिए कहना है.
राफेल मुद्दे पर तमाम राजनीतिक और न्यायिक उठापटक के बाद अब विमानों की खरीद से जुड़े दस्तावेज चोरी होने की बात सामने आई है. ये बात सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट को बताई है.
इस दौरान सरकार की ओर से ‘द हिंदू’ समाचार पत्र पर इन दस्तावेजों को प्रकाशित करने को लेकर कार्रवाई की धमकी भी दी गई है. उधर ‘द हिंदू’ की ओर से बयान जारी किया गया है कि वो सूत्रों का खुलासा किसी भी कीमत पर नहीं करेगा.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा कि समाचार पत्र ने चोरी के दस्तावेज प्रकाशित किए हैं. इसलिए पत्र ‘गोपनीयता कानून’ के तहत दोषी है. वेणुगोपाल ने समाचार पत्र पर न्यायालय की अवमानना का भी आरोप लगया. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस मामले में जांच चल रही है.
कोर्ट में अटॉर्नी जनरल के इस बयान को लेकर पत्रकारों से जुड़ी इस संस्था ने मीडिया के प्रति उत्पन्न ‘खतरे’ की भी आलोचना की. और सरकार से अपील की कि वह ऐसा कोई भी कदम उठाने से बचे जिससे मीडिया की आजादी पर खतरा हो.
The Editors Guild of India has issued a statement. pic.twitter.com/zuMotHnXm7
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) March 7, 2019
गिल्ड के बयान में कहा गया, “एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सुप्रीम कोर्ट के सामने की गई अटॉर्नी जनरल की टिप्पणियों की साफ निंदा करता है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इन दस्तावेजों का इस्तेमाल करने वाले पत्रकारों और वकीलों के खिलाफ जांच और कार्रवाई नहीं की जाएगी. लेकिन गिल्ड इस प्रकार के खतरों से चिंतित है.”
गिल्ड ने कहा कि इससे मीडिया में भय पैदा होगा. खासकर राफेल सौदे पर खबर देने और टिप्पणी करने की उसकी स्वतंत्रता का हनन होगा.
हाल में छपे लेख के मुताबिक़, सात सदस्यीय खरीद दल ने रक्षा मंत्रालय को 21 जुलाई, 2016 को अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट में खरीद दल ने बैंक गारंटी की रकम 4580 करोड़ रुपए बताई थी.
फ्रांस सरकार द्वारा इस रकम को नहीं देने के चलते मोदी सरकार के कार्यकाल में 23 सितंबर, 2016 को हुए 36 राफेल विमानों की कीमत लगभग 62,700 करोड़ बनी. जो यूपीए के समय तय कीमत से 2000 करोड़ रुपए ज्यादा थी.
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